केंद्र सरकार की इन नई नीतियों को किसान विरोधी नीति कहा जा रहा है, पूरा देश का किसान इसका विरोध कर रहा है
भारत: हाल ही में केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़ी महत्वपूर्ण सुधार विधेयकों को मंजूरी दी है जिसके खिलाफ देश भर के किसानों ने शुक्रवार 25 सितंबर को किसान विरोधी नीति आंदोलन कर विरोध जताया है साथ ही भारत बंद का आह्वान भी किया था। जिसके कारण कई जगहों पर सत्ता पक्ष के लोगों एवं विरोधी पक्ष के लोगों के बीच जमकर मारपीट भी हुआ है।
केंद्र सरकार के द्वारा इन नई नीतियों के बारे में लोग किसान विरोधी नीति कह रहे है और इसका विरोध कर रहे है। जिसमें निम्नलिखित नीतीया है 1. कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य नीति 2020, 2. कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार नीति 2020, 3. आवश्यक वस्तु नीति 2020 इन तीन नीतियों के खिलाफ लोग देश भर में आंदोलन कर रहे है। चलिए विस्तार से समझते है इन किसान विरोधी नीति के बारे में-
1. कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य नीति 2020
कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य नीति 2020- केंद्र सरकार की इस नीति के अनुसार किसानों को मंडियों के बाहर अपनी फसल को बड़ी बड़ी कंपनीयो को बेचने का विकल्प दिया जाएगा। जिसकों लेकर किसानों को इन बात का दर सता रही है की किसानों को मिलने वाला MSP( मिनमम सपोर्ट प्राइस) न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाएंगे।
यदि किसान मंडी से बाहर जाकर अपनी उपज को बेचेगा तो मंडी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। साथ ही ई-ट्रेडिंग पोर्टल भी मुशीबत में पर जाएगा। यदि किसान अपनी फसल बड़ी बड़ी कंपनी को बेचने लगेगी तो वे पूरी तरह से उन कंपनियों पर आश्रित हो जाएगी। यदि बाद में कंनपी फसल को कम कीमत या फिर लेने से मना कर दिया तो किसानों का बुरा हाल हो जाएगा इन सब बातों को लेकर किसान आंदोलन कर रहे है।
2. कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार नीति 2020
कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार नीति 2020- इन नीतियों के तहत किसानों को कान्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग करवाया जाएगा। अर्थात पूरे देश भर में करीब 10 हजर FPO( फार्मर्स प्रोड्यूसर ग्रुप्स ) का निर्माण किया जा रहा है जो किसानों से कान्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग अर्थात ठेका पर खेती करवाएगी जिसमें किसानों को एक टारगेट देकर कान्ट्रैक्ट साइन करवा लिया जाएगा की आपको इतना फसल उपजा कर देना होगा जिसके लिए हम आपको एक रकम प्रदान करेंगे।
इस नीति के अनुसार यदि कंपनी और किसान के बीच में कभी विवाद होती है तो विवाद का निपटारा के लिए किसान को अदालत में जाने की मंजूरी नहीं रहेगी इस विवाद का निपटारा एसडीएम के द्वारा किया जाएगा। किसानों को अच्छी तरह से पता है की डीएम और एसडीएम सरकार के हाथ की कठपुतली होती है वो कभी भी किसानों के हित में फैसला नहीं करेगी।
सरकार के द्वारा बनाई गई इस नीति के हिसाब से छोटे मोटे किसान कान्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग से वंचित रह जाएंगे। ऐसी स्थितयो में किसान खुद का रेट तय नहीं कर पाएंगे एवं भविष्य में यदि किसी प्रकार का विवाद होता है तो फिर बड़ी कंपनियों को लाभ होगा एवं किसानों को नुकसानी झेलना परेगा। इन सब कारणों से किसान इसका विरोध कर रहे है।
3. आवश्यक वस्तु नीति 2020
आवश्यक वस्तु नीति 2020- इस नीति के अनुसार बड़ी बड़ी कंपनियां किसानों से फसल को खरीद का इसका भंडारण कर लेगी। वही किसान इस नीति का भी विरोध कर रही है की यदि कंपनियां सभी फसल का भंडारण कर लेगी तो बाजार में कालाबाजारी होना शुरू हो जाएगा। लेकिन इस नियोमो को लेकर सरकार दावा कर रही है की फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ने से किसानों की फसल खराब होने की डर भी दूर हो जाएगा एवं बेहतर इन्फ्रस्ट्रक्चर मिलेगा।